तुम्हारी तुम जानों लेकिन हमारे टाइप के लोग आज के दिन कौन-कौन बाग बगीचे में आते है यहिच देखने को जाते हैं। पर सच कहें तो पेड़ के पीछे, छतरी लेकर गुलाब लिये घंटों खूसूर-फुसुर करना आज के दौर में शोभा नहीं देता है। पहले ही सब कुछ तो हो चुका है, फिर 14 फरवरी को बदनाम करने के लिये चुनना गलत है।
वाटसअप, फेसबूक, इंस्टा जैसे सोशल साइट में मिलना बतियाना हो ही रहा है, तब दिल की बात नहीं कहीं तो 14 फरवरी को क्या एक्ट्रा पावर आता है या इस दिन मना नहीं करते है। खैर जो भी हो अच्छे से मनाना यार। जिसने ये परंपरा शुरू की है उसकी बेइजती मत करा देना। गर किसी को चाहते हो तो हिम्मत से कह देना, पटी तो पटी वर्ना... पिटना तो हईच है : हैप्पी हैप्पी वेलेंटाइन डे।
दोस्तों अपने दिल की बात इतने बकबक तरीके से हमने कहा, जाहिर है मुड खराब तो हो ही गया होगा। तो आपके वास्ते कुछ वीडियो शेयर किया जा रहा हूं, जो कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा में इन दिनों छाए हुये सितारें है... पर नाम नहीं बताऊंगा।
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