छॉलीवुड के लिये यादगार रहा 2020 का फरवरी, 6 छत्तीसगढ़ी फिल्म एक साथ चली

छत्तीसगढ़ का सिनेमाघर बाहर की फिल्मों का मोहताज नहीं!



फीचर डेस्क रायपुर। छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग केवल नाम का है, अधिकांश फिल्म अपनी लागत तक नहीं निकाल पाती है। फिर भी लोग जोखिम उठाने का जश्बा रखते है ये बहुत बड़ी बात है। फिल्म निर्माण के गति को देखा जाए जो अब प्रत्येक माह एक-दो फिल्म बन रही है और प्रदर्शित भी हो रही है। आम दर्शकों, कलाकारों और तमाम निर्देशकों के साथ फिल्म लाइन से जुड़े सभी लोगों के लिये वर्ष 2020 का फरवरी माह यादगार बीता। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इतिहास में फरवरी का महीना स्वर्णीम अक्षरों में दर्ज रहेगा क्योकि इस माह एक दो नहीं बल्कि चार फिल्म सिनेमाघरों में धमाल मचा रहा है।

2020 के फरवरी में जोहार छत्तीसगढ़, दईहान, आजा नदिया के पार, तै मोर लव स्टोरी, बेनाम बादशाह, तोर मोर यारी जैसे कुल 6 फिल्म माह के अंत तक सिनेमाघरों में सफलता पूर्वक चल रही है। हालांकि जोहार छत्तीसगढ़ 31 जनवरी को प्रदर्शित हुई जिसे प्रीमियर शो माने तो उनकी भी ओपनिंग फरवरी ही की दर्ज होगी। ऐसा पहली बार हुआ जब किसी एक ही महीने में 5 छत्तीसगढ़ी फिल्म रिलीज हुआ हो।


ये पांचो फिल्म कई मायने में एक दूसरे से काफी अलग है इसलिये दर्शको ने सभी का आनंद मजे से लिया। जोहार छत्तीसगढ़ में देवेंद्र जांगड़े, शिखा चितांबरे, राज साहू, सोनाली सहारे, अनिल शर्मा, पुष्पेन्द्र सिंह, निशांत उपाध्याय, क्रांति दीक्षित, हेमलाल कौशल, विक्रम राज, सलिम अंसारी, उपासना वैष्णव आदि कलाकारों ने शानदार अभिनय किया। यह फिल्म छत्तीसगढ़ के मूल निवासी लोगों के अधिकार और बाहरी व्यक्तियों के राजनीतिक हस्तक्षेप को प्रमुखता से जनता के बीच रखा था। देवेंद्र जांगड़े, और राज साहू की इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया।


7 फरवरी को आई दईहान जो कि छत्तीसगढ़ की एक महान सांस्कृतिक फिल्म थी। इस फिल्म में गांव के चरवाहों की प्रेम कहानी दिखाई गई थी। फिल्म की कहानी के साथ ही संवाद और गीत-संगीत भी काफी लोकप्रिय हुआ। दर्हहान में संदीप पाटिल, जैकी भावसार, जागेश्वरी मेश्राम, घनश्याम पटेल, नवीन देशमुख, अंजलि चौहान, रजनीश झांझी, कुलेश्वर ताम्रकार, अमरसिंह लहरे, येमन साहू, पप्पू चंद्राकर और प्रमोद विश्वकर्मा आदि कलाकार अहम किरदार में थे। 7 फरवरी को ही एक और छत्तीसगढ़ी फिल्म रिलीज हुई आजा नदिया के पार। ज्ञानेश तिवारी की यह फिल्म एक लव स्टोरी थी जिसमें अशरफ अली और आस्था दयाल के साथ दूजे निषाद, विनोद, सरला सेन, मंदिरा नायक, विनायक अग्रवाल आदि ने शानदार अभिनय किया। 


फरवरी के दूसरे शुक्रवार यानी 14 फरवरी को भी दो फिल्में आई एक तै मोर लव स्टोरी और दूसरी बेनाम बादशाह। सतीश साव और अनिकृति की बहुप्रतिक्षित फिल्म तै मोर लव स्टोरी तो बहुत दिनों से कंप्लिट थी लेकिन लव स्टोरी होने के कारण निर्माता अजय वर्मा और निर्देशक दानेश साहू अच्छी और यादगार दिन की प्रतिक्षा में थे। चूकि 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे मनाया जाता है तो इससे बढ़िया दिन एक प्रेम कहानी को रिलीज करने का हो ही नहीं सकता था। सतीश साव, अनिकृति चौहान, संजय साहू, माया साहू, रजनीश झाँझी, दूजे निषाद, विनीता मिश्रा, सनिधी विश्वनाथ राव, रिया साहू, सागर सोनी, सौरभ गोस्वामी, राज सोनी, लोकेश साहू, किशन साहू आदि तै मोर लव स्टोरी में अहम किरदार में थे। 


इस तारीख को एक और मूवी कुछ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई जो था बेनाम बादशाह। बेनाम बादशाह एक शराबी की कहानी है जो एक जुनून में शराब छोड़कर समाज के सामने संदेश रखते है। बेनाम बादशाह के गानों के साथ ही इसकी कहानी को भी काफी पसंद किया गया। सुपरस्टार करन खान और सदाबहार अभिनेत्री मुस्कान साहू की दमदार अदाकारी ने सब कलाकारों को दिखा दिया की छॉलीवुड में ऐसी फिल्में भी बनाई जा सकती है। इस फिल्म में करन और मुस्कान के अलावा प्रणव झा ने भी कमाल कर दिया, सतीश जैन के बाद प्रणव झा ही एक ऐसा फिल्ममेकर है जिसके नाम से दर्शक जुटते है। बेनाम बादशाह में प्रणव झा ने बता दिया कि वे फिल्म मेकिंग के भी बादशाह है। उनकी पहली मूवी बीए सेकेन्ड ईयर और बीए फस्ट ईयर से बेनाम बादशाह को कमतर नहीं माना जा सकता। कलाकार भले ही बदले है लेकिन पेश करने का अंदाज और तेवर वही है।


फरवरी माह का आखरी शुक्रवार भी जाते-जाते भी एक लव स्टोरी देकर गया जिसका नाम है तोर मोर यारी। इसमें निर्माता है अजय त्रिपाठी और निर्देशित किये है प्रिंस विकास बर्धन ने। तोर मोर यारी में अहम किरदार में थे अजय त्रिपाठी, तानिया तिवारी, श्याम कुमार, शिव शंकर, प्रियंका साहू, प्रियंका प्रिया, दर्शन साहू, पुष्पेन्द्र सिंह, एजाज वारसी, आशीष सेंद्रे, सरला सेन, पुष्पांजली शर्मा, उपासना वैष्णव, मंदिरा नायक और ललित उपाध्याय। यह फिल्म छॉलीवुड के लिए इस वजह से भी खास है क्योंकि इसमें छॉलीवुड के बाबू जी यानी आशीष सेन्द्रे ने भी अभिनय किया है। शायद तोर मोर यारी ही उनकी आखरी फिल्म है जिसके बाद वे इस दुनिया को अलविदा कह गये। फिल्म की दूसरी बड़ी खासियत है पारिवारिक कहानी जिसमें एक-दो नही बल्कि पांच दोस्तों के किरदार को सूत्रधार बनाकर समाज में दोस्ती की नई परिभाषा रखने की कोशिश की गई। दो दोस्त तो बुजुर्ग है लेकिन तीन युवा है तो जाहिर है प्यार और रोमांश के गीत भी है, जो कि काफी कर्णप्रिय है।


छत्तीसगढ़ी भाषा की जब 5 फिल्में एक ही माह में रिलीज हुई तो टाकीज मालिकों के साथ फिल्म वितरक भी तारीख के लिये काफी मशक्कत करते दिखे। इस दौरान कई फिल्म मेकर तो अपनी पूर्व घोषित रिलीज तारीख को आगे टाल दिये किन्तु कुछ अपनी बात पर अड़े रहे और कम सिनेमाघर होने के बावजूद अपनी फिल्म को प्रदर्शित करने में सफल रहे। छत्तीसगढ़ में फरवरी का महीना बसंत के साथ ही मेला और आयोजनों का है तो दर्शकों के पास फिल्म देखने का समय भी होता है। ऐसे में भला फिल्मकार कैसे चुकते, धड़ाधड़ उतारने लगे अपनी फिल्मों को। दर्शक भी अच्छे मूड में दिखे सभी फिल्मों को भूरपूर प्यार मिला। कौन सी फिल्म कितनी कमाई किये ये अलग विषय है किन्तु जो दर्शक जोहार छत्तीसगढ़ और दईहान देखे वही दर्शक आजा नदिया के पार, तै मोर लव स्टोरी, बेनाम बादशाह और तोर मोर यारी भी समय निकाल कर देखने पहुंचे।

छत्तीसगढ़ में बॉलीवुड की फिल्मे प्रमुखता से देखी जाती है क्योकि यहा अधिकांश सिनेमाघर बड़े शहरों में है जो कि हिन्दी भाषी बाहुल्य है। बड़े शहरों में आचंलिक फिल्म से कम लगाव और हॉलीवुड, बॉलीवुड से अधिक प्रेम होता है। इस दौरान उनके लिये बॉलीवुड के गन्स आफ बनारस, दूरदर्शन, कहता है ये दिल, तीन मुहूर्त, रिजवान, लापरवाह, थप्पड़, कुकी, हॉन्टेड हिल्स, ओ पुष्पा आई हेट टियर्स, स्वर्ग आश्रम, भूत: भाग एक- द हंटरर्ड सीप, द हंडर्ड बक, शुभ मंगल सावधान, लव आज कल और ए गेम कार्ल्ड रिलेशनसीप जैसी फिल्मे आई जो कि कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। अब हिन्दी और छत्तीसगढ़ी की फरवरी में रिलीज फिल्मों की तुलना जनता की भीड़ देखकर करे तो छॉलीवुड की फिल्में ज्यादा लोकप्रिय रही है।

इसे एक नये नजरिये से देखा जाये तो अब छत्तीसगढ़ का सिनेमाघर बाहर की फिल्मों का मोहताज नहीं है। छत्तीसगढ़ में ही इतनी फिल्में बनने लगी है कि साल भर उनको तारीख के लिये प्रतिक्षारत रहना होगा। निर्माता और वितरक के साथ अगर सिनेमाघर मालिकों का अच्छा तालमेल हो तो बॉक्स आफिस कलेक्शन भी धीरे-धीरे घाटे से मुनाफा की ओर जा सकता है। लगातार घाटे में चल रहे प्रोड्यूसर जब मुनाफा कमायेंगे तो फिल्म के अन्य सभी पर्दे व पर्दे के बाहर काम करने वाले लोगों को भी अच्छी तनख्वाह मिल सकेगी। फिल्म का बजट भी बढ़ेगा तब कही जाकर हम कह सकेंगे कि छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग का रूप ले रहा है।
फिल्म समीक्षक-
 0 जयंत साहू, रायपुर छत्तीसगढ़  
 Mo- 9826753304  
Email- Jayantsahu9@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सारगर्भित प्रतिक्रिया देने के लिए आपको सादर धन्यवाद...

ब्लॉग में लिखे गये पोस्ट का आधार विश्वस्त सूत्रों, आधिकारिक सोशल मीडिया व संबंधित व्यक्तियों की सार्वजनिक जानकारियां हैं। ब्लॉगर ने इस बात की भी पूरी कोशिश की है कि किसी की निजी ​जीवन या ऐसे तथ्य जिससे व्यक्ति अथवा संस्था की निजता आहत न हो। यदि होता है तो बिना किसी शर्त के पोस्ट हटाने की जवाबदेही है।

यह ब्लॉग खोजें

फ़ॉलोअर