‘दईहान’ छत्तीसगढ़ की महान सांस्कृतिक फिल्म

भूपेंद्र साहू कृत ‘दईहान’ The cow man का ट्रेलर लांच





  • निर्देशक - भूपेंद्र साहू 
  • निर्माता - मलयज साहू
  • प्रोडक्सन - आरंभ फिल्मस् 
  • गीत एवं संगीत - भूपेंद्र साहू 
  • पठकथा संवाद - भूपेंद्र साहू 
  • छायांकन - मुरली मोहन राव, राजा सिन्हा
  • संपादन - तुलेंद्र पटेल, मलयज साहू
  • गायक - मिथलेश साहू, अलका चंद्राकर, शैल 
  • कलाकार - संदीप पाटिल, जैकी भावसार, जागेश्वरी मेश्राम, घनश्याम पटेल, नवीन देशमुख, अंजलि चौहान, रजनीश झांझी, कुलेश्वर ताम्रकार, अमरसिंह लहरे, येमन साहू, पप्पू चंद्राकर, प्रमोद विश्वकर्मा आदि।




फीचर डेस्क रायपुर। छत्तीसगढ़ के आर्ट फिल्म मेकर भूपेंद्र साहू की बहुप्रतिक्षित छत्तीसगढ़ी फिल्म दईहान अब पूर्ण हो चुका है। दईहान का आधिकारिक ट्रेलर यूट्यूब पर जारी कर दी गई। छत्तीसगढ़ में लबे अंतराल के बाद एक ऐसी फिल्म दर्शकों को देखने को मिलेगी जिसे देखकर सही मायने में लगेगा कि हां ये है छत्तीसगढ़ी फिचर फिल्म, जिसमें छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति और लोक परंपरा दिखता है। भूपेंद्र साहू छत्तीसगढ़ की लोक कला के बारे काफी जानकारी रखते है। भोपाल के भारत भवन में उन्होने लंबा समय बिताया है कला साधना में। उनकी सांस्कृतिक संस्था रंग सरोवर लोकगीत और संगीत की अनुपम प्रस्तुति के लिये विख्यात है। जितनी पकड़ उनकी रंगमंच में है उतनी ही सिने दुनिया में भी, जिसका जीता जागता उदाहरण हमारे सामने रंग सरोवर के वीडियो एलबम है। अब हाल में आई उनकी नई फिल्म दईहान इससे दस कदम आगे है। 



आज के दौर में इस तरह की कहानी और पटकथा कोई सोच भी नहीं सकता है। दईहान फिल्म का नाम रखा गया है तो कहानी भी ठेठवार समाज की होगी इतना तो पक्का है। ठेठवार के लिये मातर, मड़ई, गाय और दूध-दही की चंडी परंपरा का हिस्सा है जिसे फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है। सोशल मीडिया में काफी चर्चित दईहान का आधिकारिक विडियों यूट्यूब लांच होते ही दईहान की स्टोरी भी साफ हो गई कि भूपेंद्र जी वाकई आर्ट मूवी के महारथी है। छालीवुड में इस तरह की फिल्मों को अब तक देखे तो चंद्रशेखर चकोर जी के निर्देशन में बनी गुरांवट के बाद ये दूसरी मूवी आ रही है दईहान। जिसमें अपना छत्तीसगढ़ है, अपना रीति-रिवाज, अपनी परंपरा और अपनी भाषा के प्रति सम्मान और समर्पण दिखता है।

अब फिल्म की कहानी की बात करे तो भूपेंद्र ने ग्राम्य संस्कृति के उस हिस्से को उठाया है जो यादव समाज का प्रतिनिधित्व करता है। गाय चराना यदुवंशियों की परंपरा में है, दैनिक जीवन का कार्य भी गायों के बीच ही शुरू और अंत होता है। फिल्म में शायद यही दिखाने की कोशिश की गई है। ठेठवार के परिवार में दो नव जवान अपनी गायों को दईहान से खेत-खार चराने जाया करते थे। बांस गीतों की मुधर तान के साथ दूध, दही, मही का चंडी लोगों के घर जाने लगता है। 



इसी बीच दूसरे गांव के लोग दूध, दही को लेकर लड़ाई करते है जिसमें फिल्म का नायक उलझ जाता है। फिल्म में नया मोड़ उस समय आता है जब नायिका दो ठेठवारों में से एक की हो जाती है। फूल झरे हांसी, मोती झरे बयना तोर... पहिली नजर म मोही डारे रे, जादू का अइसे तेहा मारे रे... गीत से रधिया और किशुन का प्रेम परवान चड़ने लगता जो दूसरे ठेठवार साथियों को नागवार लगता है। प्रेम कहानी केवल दो साथी ही नहीं बल्कि उनके परिवारों में कलह पैदा करा देता है। अब आगे क्या हुआ कहानी में इसके लिये तो पूरा फिल्म देखना पड़ेगा। रधिया और किशुन का प्रेम किस हद तक जाता है, क्या उनके माता-पिता को रिस्ता मंजूर होगा या विरोधियों की विजय होगी फिलहाल इंतजार करते है दईहान के रिलीज होने का।


   Social media link in film artist    

नोट- इस ब्लॉग में पोस्ट की गई फोटोग्राफ आधिकारिक ट्रेलर व कलाकारों द्वारा सोशल मीडिया में पोस्ट का स्क्रीनशॉट है जिसका उद्देश्य फिल्म के विषय में जानकारी आम जन तक पहुंचाना है। दईहान फिल्म की पूरी टीम को सफलता की ​अग्रिम बधाई...

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