सावन के महीने में शिवालयों आदि के पास सांप का पिटारा लेकर घुमते सपेरों को आप आसानी से देखते है पर क्या आपको अंदाजा है कि ये सर्प कितने खतरनाक हो सकते है। जी हां सर्प दंश से आदमी की मृत्यु हो जाती है। फिर भी सपेरों को जरा भी भय नहीं उनके घरों में छोटे-छोटे बच्चे खेलते है जहरीले सांपों के साथ। डेरे में परिवार के सदस्यों की तरह पाला जाता है सांप।
नागपंचमी का पर्व
श्रावण मास की पंचमी को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है, कहा जाता है कि इस दिन नाग जाति की उत्पत्ति हुई थी। भगवान शंकर के आभूषण के रूप में उनके अंगों पर शोभायमान विषैले सर्पों से जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित है। जिनमें से मुद्र-मंथन की कथा के अनुसार जगत-कल्याण के लिए वासुकी नाग ने मथानी के रस्सी के रुप में कार्य किया थाद, धरती शेषनाग के फणों के ऊपर टिकी हुई है आदि जनश्रुतियों को लेकर नागपंचमी पर सर्प की विशेष पूजी की जाती है।- सर्प दंश का इलाज पारंपरिक तरीकों से करते है सपेरे।
- जड़ी-बूटी का ज्ञान इनकों विरासत में मिला है।
- सांप सपेरों के लिये कमाउ बेटा है, नाजों से पालते है जहरीले सांप।
- डेरे में किसी की भी सर्प दंश से नहीं होती मौत।
- सर्प की कमी और प्रशासन का प्रतिबंध अब सांप और सपेरों की रिस्तों में दरार।
देखिए सांपों के भरेपूरे परिवार को
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