लगभग एक साल पहले ऐसी ही एक बड़ी खबर सोशल मीडिया में सामने आई थी कि तीजन बाई जी पर बायोपिक मूवी बनने जा रही है। खबरें तो यहां तक थी कि यह मेगा बजट हिन्दी बायोपिक होगी और विद्या बालन, अमिताभ बच्चन सहित मुंबई के कई बड़े कलाकार अहम किरदार में होंगे। कुछ अखबारों ने रानी मुखर्जी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम भी प्रकाशित किया था। तीजन बाई विद्या बालन बने, रानी मुखर्जी बने या कोई और कलाकार, बड़ी बात तो किसी लोक कलाकार के जीवन पर फिल्म बनने का है। बहरहाल ये तो सोशल मीडिया की बातें है, जिसे सालभर बीत चुका है और इस प्रोक्जेट पर मायानगरी से कोई नया अपडेट भी नहीं।
किन्तु इन दिनों छत्तीसगढ़ के सिने कलाकारों के बीच से एक और बड़ी खबर आई की तीजन बाई जी की बायोपिक अब दूरदर्शन के लिये बनाई जा रही है। डॉ. तीजन बाई इतनी बड़ी हस्ती है कि उनके बारे में हर कोई जानना चाहता है। संघर्ष भरे जीवन के कठिन दौर से जो छत्तीसगढि़या जन वाकिफ हैं वे उन्हें बड़े पर्दे पर देखने का ख्वाब रखते हैं। सूत्रों की माने तो यह दूरदर्शन की बायोपिक है यानी छोटे पर्दे के लिये बनाई जा रही है।
तीजन बाई जी की बायोपिक की शूटिंग इन दिनों नवा रायपुर की सहाय फिल्म सिटी में चल रही है। तीजन बाई की बचपन की कुछ सीन शूट भी हो चुका है जिसे निभायी है बाल कलाकार यासमीन ने और तीजन बाई के नाना व गुरू के किरदार में है डॉ. अजय सहाय व मां की भूमिका में नजर आयेंगी संगीता निषाद। शूटिंग अभी जारी है, आगे का अपडेट हम आपको समय-समय में देते रहेंगे। इतना तो यकिन है कि तीजन बाई की बायोपिक है तो निश्चित ही काफी रिसर्च हुआ होगा। जिसकी हर खासो-आम को अब प्रदर्शन की प्रतिक्षा है। तीजन बाई जी का जीवनदर्शन देखना किसी मोटिवेशनल मूवी से कम नहीं होगा।
तीजन बाई के बारे में जाने
पद्मभूषण डॉ. तीजनबाई का जन्म 8 अगस्त 1956 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई के पास ग्राम गनियारी में हुआ था। तीजन बाई के पिता का नाम चूनुक लाल पारधी और उनकी माता का नाम सुखवती पारधी था। तीजन का जन्म एक गरीब पारधी परिवार में हुआ जो जीवकोपार्जन के लिये झाड़ू आदि बनाने व बेचने का काम करते थे। बचपन से तीजन को गीत-संगीत से लगाव था। उनके नाना बृजलाल प्रधान महाभारत गायन करते थे, जिसे तीजन ध्यान से सुना करती थी। नाना जी ने एक दिन अचानक देखा की तीजन को कई किस्से मुखाग्र हो गया है तब उसने तीजन को विधीवत शिक्षा देना आरंभ किया। तीजन बाई कभी स्कूल नहीं गई है, उन्हें पढ़ना नहीं आता है, फिर भी उनको महाभारत का सभी कथा प्रसंग याद है।
तीजन बाई 13 साल की उम्र से पंडवानी की मंचीय प्रस्तुति दे रही है। वे महाभारत की कथा को खड़े होकर भावाभिनय के साथ एक हाथ में तंबूरा लेकर गाती हैं। पंडवानी में संगतकार के रूप में एक रागी होता है जो गायनकर्ता का सहयोग करते हैं, कथा को आगे बढ़ाने व गीत को रोचक बनाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पंडवानी गायन में तीजन बाई की भावाभिनय और तंबूरे को बजाने के साथ उनका कथा में तीर, धनुष, गदा अस्त्र आदि के रूप में उपयोग करना उनकी विशेष पहचान।
तीजन बाई का पंडवानी छत्तीसगढ़ अंचल में इतना लोकप्रिय हो गया था कि उसे एक दिन मशहून नाटककार हबीब तनवीर ने प्रदर्शन के लिए भोपाल बुलाया। जहां से तीजन के जीवन का नया दौर शुरू हुआ और उनके प्रदर्शन को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी निवास में प्रदर्शन के लिए दिल्ली बुलाया गया। और तब से वे पूरे देशभर में पंडवानी का पर्याय बनी हुई है।
तीजन बाई जी की अंतर्राष्ट्रीय मंचों में प्रस्तुाति 1980 के दशक से हुआ। वें अब तक इंग्लैंड, फ्रांस, स्विटजरलैंड, जर्मनी, तुर्की, ट्यूनीशिया, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मॉरीशस सहित पूरी दुनिया में पंडवानी की प्रस्तुति दे चुकी हैं।
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