छत्तीसगढ़ में तीजा को बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। विवाहित बहनें हरेली, राखी, कमरछठ और पोरा के बाद मायके से तीजा लिवाने आने वाले परिजनों का बेसब्री से प्रतिक्षा करती हैं। नई नवेली को तो और भी ज्यादा मायके की याद सताने लगती है। काम करते हुए भी मायके के दिन को याद कर गीत गुनगुनाने लगती हैं, देवर-ननंद से ठिठोली करती है, देवरानी-जेठानी एक दूसरे को उलाहना देते है। जिसे गीत के रूप में कलाकार आम जनों तक मनोरंजक रूप से पहुंचाते है। तीजा के गीत में कहीं हास्य से मनोरंजन तो कहीं दर्द और बिरह के बोल फूटते हैं।
जब मायके से तीजा लिवाने आते हैं रिश्तेदार उससे बाद का गीत तो और भी आंनद देता हैं। बचपन की सखा-सहेली संग, तलाब के किनारे झुले, खेतों की पगडंडियों में नंगे पाव मचलना, पड़ोसी की बाड़ी से फल और तरकारी चुराना, बिल्लस, गोटा, फुगड़ी और न जाने क्या-क्या, नहीं करते है मायके आने के बाद।
नई नवेली की बचपने के बीच सयानी महिलाएं संस्कृति और परंपरा का निर्वाह करती हुई तीजा उपवास की तैयारी में जुट जाती हैं। कुरू भात बनाकर एक दूसरें के घर खाने जाती है। उसके बाद से शुरू होता है 36 घंटें का कठिन व्रत। रात को महिलाएं महेंदी लगाती है, पूजा करती है, पकवान बनाती है। मायके में दिए वस्त्र को पहनकर, फरहार यानी फलाहार से उपवास को तोड़ा जाता है। फरहार को बासी खाना कहते हैं जिसे खाकर महिलाएं उपवास तोड़ती है। गांव की महिलाएं अपने रिश्तेदारों के घर भी बासी खाने जाती हैं, बासी खाने के बाद यथा उचित वस्त्र, रूपए आदि भेट दिया जाता है।
इस व्रत पर्व के माहौल को और भी खुशनुमा बना देते हैं हमारे लोक कलाकार, समय के अनुसार गीत-संगीत का सृजन कर। कलाकारों ने तीजयारिन बहन, भाई, मायके की सखी-सहेली और लोक परंपरा को में ध्यान ढेरों एल्बम बनाये हैं। जिसमें इस बार खास रूप से तीजा विशेष गीत छाया चंद्राकर, मोना सेन, गरिमा दिवाकर, चंपा निषाद, आरती सिंह और निशा चौबे आदि का आया है।
सुने तीजा के अवसर पर शानदार छत्तीसगढ़ी गीत-
छत्तीसगढ़ी की स्वर कोकिला श्रीमती कविता वासनिक के मधुर स्वर में गीत- तीजा तिहार में लोक संस्कार और परंपराओं की धरोहर को संगीत के साथ प्रस्तुत किया गया है।
लोक गायिका श्रीमती छाया चंद्राकर के मधुर स्वर में गीत- ‘दाई ददा के दुलार’ इसे लिखे हैं नारायण प्रसाद वर्मा और संगीत है चंद्रभूषण वर्मा का।
लोक गायिका सुश्री मोना सेन के मुधर स्वर में गीत- ‘तीजा के लुगरा नीक लागे न’ रिलीज हुआ है इस गीत को लिखे हैं बुधराम चौहान और संगीत है सूरज महानंद का।
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक गायिका गरिमा दिवाकर के मधुर स्वर में शानदार गीत रिलीज हुआ है। साथ ही चंपा निषाद, आरती सिंह, प्रार्थना दुबे, निशा चौबे, गौरी साहू सहित अनेक कलाकारों का स्पेशल तीजा सोशल मीडिया में खूब लोकप्रियता पा रहा है।
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