 |
prakash awasthi cg film actor |
- प्रकाश अवस्थी की यादगार फिल्में - राजू दिलवाला, टूरा रिक्शावाला, गजब दिन भइगे, मयारू गंगा, मया-2, डेढ़ होसियार, दमदार, जय मां मईहर वाली, मैं टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी, दू लफाड़ू आदि
सिनेमा। माया नगरी की जिसे एक बार लत लगे समझो वो बंदा गया काम से। सोते जागते, उठथे बैठते बस सिनेमा ही सिनेमा नजर आता है। कहीं न कहीं आपने यह भी सुना होगा कि एक ऐसा दौर था जब युवा घर से भाग कर सिनेमा में काम करने जाते थे। संघर्ष और दर-दर ठोकरें खाने के बाद, किसी भाग्यशाली को ही मन माफिक काम नसीब होता था। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के रूपहले पर्दे पर चमकता हुआ आज का प्रकाश अवस्थी के मन में भी कभी ऐसा ही चाहत था कि मुंबई जाकर बड़ा कलाकार बने। लेकिन मुंबई की ठोकरों और संघर्ष की कटु कहानियों ने उनका कदम रोक दिये।
राजधानी रायपुर के महामाई पारा में रहने वाले प्रकाश अवस्थी का परिवार गरियाबंद से ताल्लुक रखते हैं। स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही अभिनय का शौक रखने वाले प्रकाश ने रायपुर में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद जीवनयापन के लिये अन्य व्यवसाय चुना। क्योंकि अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में कला का इतना व्यापक माध्यम नहीं था जिससे किसी कलाकार की रोजी-रोटी चल सके। हालांकि अब भी कलाकारों की दशा कुछ ठीक नहीं है लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद से हालात बहुत कुछ बदला है। कलाकारों को अपनी प्रतिभाओं को उभारने का भरपूर अवसर मिला रहा है।
प्रकाश ने कई बार मीडिया के सामने यह कहा है कि उनको मुंबई जाकर फिल्म करने का बड़ा शौक था लेकिन हालात कुछ ऐसा हुआ की जा न सका। अपने कैरियर पर ध्यान दिया, घर की जिम्मेदारी उठाने के लिये दूसरे काम करते रहे। इस बीच कलाकारी को भी जिंदा रखा, रंगमंच से जुड़ गये। रायपुर के वरिष्ठ रंग निर्देशक मिर्जा मसूद एक बड़ा नाम है छत्तीसगढ़ और बाहर भी। उनके साथ जुड़कर अनेक नाटकों में अभिनय कर प्रकाश अवस्थी अपने भीतर के कलाकार को तरासते रहे।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर 1965 से मनु नायक द्वारा बनाई गई फिल्म कहि देबे संदेश से शुरू हो चुका था। उसके बाद 1971 में घर-द्वार बनी। रंगीन सिनेमा के दौर में सतीश जैन ने 2000 में मोर छइंहा भुंइया बनाकर छत्तीसगढ़ी सिनेमा का स्वर्णीम इतिहास गढ़ दिये। छत्तीसगढ़ में फिल्म बने और प्रकाश अवस्थी उसका हिस्सा न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। प्रकाश अवस्थी सतीश जैन के अनेक फिल्मों में काम कर चुके हैं। प्रकाश अवस्थी की यादगार फिल्मों की बात करें तो राजू दिलवाला, टूरा रिक्शावाला, गजब दिन भइगे, मयारू गंगा, मया-2, डेढ़ होसियार, दमदार, जय मां मईहर वाली, मैं टूरा अनाड़ी तभो खिलाड़ी, दू लफाड़ू सहित छत्तीसगढ़ी के अलावा भोजपुरी और बांग्ला में भी उनका अदाकारी का जलवा देख चुके हैं।
प्रकाश अवस्थी सिर्फ कलाकार ही नहीं अपितु एक सफल निर्माता, निर्देशक भी हैं। उन्होंने अपने ओशिन इंटरटेनमेंट के बैनर तले राजू दिलवाला, मया 2, डेढ़ होसियार जैसे लोकप्रिय फिल्म बनाये है, जिसे दर्शकों ने खूब प्यार दिया। प्रकाश के साथ अनुज शर्मा की जोड़ी ने सतीश जैन के निर्देशन में कई हिट फिल्म दिये हैं। साथ ही मनोज वर्मा व एस. के. मुरलीधर की फिल्म में भी उनकर दमदार अदाकारी का जलवा देखने को मिला था।
प्रकाश के बारे में कहा जाता है कि वो एक मात्र ऐसे कलाकार है जिनको छॉलीवुड में सभी तरह की किरदार निभाने का अवसर मिला है, और शानदार अभिनय भी किये हैं। मनोज वर्मा की फिल्म दू लफाड़ू एक हास्य फिल्म है जिसमें उनके साथ छत्तीसगढ़ी के साथ भोजपुरी में जबरदस्त हंसी के हसगुल्ले छोड़ने वाले अभिनेता संजय महानंद भी है। संजय महानंद के साथ प्रकाश अवस्थी की जोड़ी ने दर्शकों को खूब हंसाया। ऐसे ही डेढ़ होसियार और टूरा रिक्शावाला में भी चुटिले अंदाज दिखे। वहीं मया 2, मयारू गंगा, राजू दिलवाला और गजब दिन भइगे जैसे फिल्मों में पारिवारिक कहानी के साथ हास्य, रोमांस और एक्शन स्टार के रूप में बड़ा पहचान बनाने में भी सफल रहे है।
फिल्म निर्माण और कलाकारी के साथ स्टेूज शो व सामाजिक गतिविधी में हमेशा व्यस्त रहने वाले प्रकाश अवस्थी की फिल्मी सफरनामा वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ी सिनेमा में आने वाले युवा कलाकारों के लिये प्ररेणा है।
 |
Chhattisgarhi Film Damdar |
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Chhattisgahri Film Der hosiyar |
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Chhattisgahri Film Doo lafadu |
 |
Chhattisgahri Film gajab din Bhaege |
 |
Bhojpuri Film Jay ma maihar wali |
 |
Chhattisgahri Film Mai tura anari tabho khiladi |
 |
Chhattisgahri Film Maya 2 |
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Chhattisgahri Film Mayaru ganag |
 |
Chhattisgahri Film Raju dilwala |
 |
Chhattisgahri Film Tura rikashwala |
 |
Prakash Awasthi |
 |
Prakash Awasthi |
 |
Prakash Awasthi |
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