bhojpuri new video 2020 : प्रमोद प्रेमी यादव और शिल्पी राज की जोड़ी का एक और भोजपुरी धमाल ‘पढ़तानी नौवा में’

bhojpuri new video 2020

पटना। भोजपुरी गीत और संगीत की दुनियाभर में चाहने वाले हैं, सोशल मीडिया के दौर में तो और ही धमाल हो रहा है। एक साथ कई वेब प्लेटफॉर्म में उपलब्ध होने के कारण लोग हर कलाकार के वीडियो का आनंद ले रहे हैं। 


देशबंदी का भोजपुरी संगीत पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। कलाकारों को कार्यक्रम नहीं मिलने से खासे निराश है किन्तु सोशल मीडिया के दर्शकों के लिये कुछ न कुछ नया आ ही रहा है। हाल ही में मस्तमौला सुमधुर आवाज के जादूगर प्रमोद प्रेमी यादव का शिल्पी राज के साथ एक और धमाकेदार गाना रिलीज हुआ है ‘पढ़तानी नौवा में’, जो खूब धमाल मचा रहा है।

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प्रमोद प्रेमी यादव और शिल्पी राज के आवाज में भोजपुरी की जबरदस्त मिठास है, लोकांचल की कर्कशता और ठेठ अंदाज पटना, बिहार, झारखंड ही नहीं देश से सात समुंदर पार भी गुंजती है। हाल ही में रिलीज हुआ पढ़तानी नौवा में को लिखा है कृष्णा बेदर्दी ने और मुधर संगीत है आर्य शर्मा का। रिलीज नई विडियो में सिंगर एक्टर प्रमोद प्रेम यादव, अभिनेत्री व मॉडल ज्योति ठाकुर भी दिखाई दे रही हैं।

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प्रमोद प्रेमी यादव और शिल्पी राज की जोड़ी - बोल का भाव, अईला ल मार के जा, नचनीया भतार, भुअरी धरता अचार, दरदिया ऊठता ए राजा, मजनुआ हमार... जैसे कई हिट गीत को अब तक करोड़ों दर्शक पंदस कर चुके है। ‘पढ़तानी नौवा में’ गाने में अब 1,77,92,930 व्यूह आ चुके है जबकि अभी-अभी ही रिलीज हुआ है।

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भोजपुरी संगीत का सोशल मीडिया में अपना एक अलग ही ट्रेंड है जिसका टशन कभी खत्म नहीं होगा। हालांकि भोजपुरी में भी गानों के खुलापन और अभद्रता की बात उठती है लेकिन नग्नता कभी नहीं होती। मस्ती और खुलापन तो अंचल की आबोहवा में है, भला कैसे कोई रोक सकता है। दूसरी तरफ बाबा के जयकारे और छठ माई के आराधना के गीत भी इन्हीं के स्वरों में सुनते है।
प्रमोद प्रेम यादव -facebook Pramod premi yadavo
शिल्पी राज - facebook shilpi raj



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मुद्दे की बात : गानों में बढ़ती फूहड़ता का कारण, कलाकार या दर्शक ?

यदि आप विशुद्ध भोजपुरी गीत पसंद करते है, पारंपरिक कला और संस्कृति देखना चाहते हैं तो सोशल मीडिया के ऐसे चैनलों से दूर रहे। भोजपुरी ही क्यों, फूहड़ता और अभद्रता तो सभी सिनेमा में दर्शकों के डिमांड पर ही आ रहा है। साफगोई से कहा जाता है कि गाना ये है, वो है, और गानों के पसंद करने वालों की संख्या देखे तो सामान्य गीतों से कही ज्यादा होता हैं। इसका मतलब तो यही है कि दर्शक देखना चाह रहे है, भतार पेले मुर्गा बनाके, करेला लसलस ए जीजा, तनी थूक लगा के डाल, मजा मारे बुरे में, नये लहंगा लसार दिहले, भतार लेखान ईऊज करेला, भतार मोर सैलेंसर लगाके फायर करे, भतार साजा भरपूर देले बा, भतार के फसाउलास मोर देवरनिया, राते लेवे के भतार भूल गईल, गंदा गंदा काम करबू का, छोट बा फुलौना राजा जी, छौड़ी कुँवारे के ठोकल बिया, तोरा चुल्हा मे बांस खोंचाईर देबौ गे, सुता के साटा सट मारेला, तूफानी के बैगन भितरे टूटगईल जैसे को देखना बंद करेंगे तभी तो अच्छे गीतों की रे‍टिंग बड़ेगा। ऐसा नहीं है कि छोटे कलाकार सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में करते है बल्कि बड़े सितारे भी ऐसे गानों से परहेज नहीं करते है। कारण दर्शक वर्ग है, वें देखना चाहते है, और देख भी रहे है। अनेक बड़े कलाकार इस गंभीर विषय में मुखहर होकर आवाज उठाते हैं, गौरवशाली संस्कृति और परंपरा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करते है।

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