‘दईहान द काऊ मैन’ छत्तीसगढ़ की महान सांस्कृतिक फिल्म
- फिल्म का नाम - दईहान द काऊ मैन
- प्रोडक्सन - आरंभ फिल्मस्
- निर्देशक - भूपेंद्र साहू
- निर्माता - मलयज साहू
- गीत एवं संगीत - भूपेंद्र साहू
- पठकथा संवाद - भूपेंद्र साहू
- छायांकन - मुरली मोहन राव, राजा सिन्हा
- संपादन- तुलेंद्र पटेल, मलयज साहू
- पार्श्व स्वर - मिथलेश साहू, अलका चंद्राकर, शैलभामा, अतंरा चक्रवर्ती, सौरभ नायक
- कलाकार- संदीप पाटिल, जैकी भावसार, जागेश्वरी मेश्राम, घनश्याम पटेल, नवीन देशमुख, अंजलि चौहान, रजनीश झांझी, कुलेश्वर ताम्रकार, अमरसिंह लहरे, येमन साहू, पप्पू चंद्राकर, प्रमोद विश्वकर्मा आदि।
फीचर डेस्क रायपुर। आरंभ फिल्मस के बैनर तले निर्मित छत्तीसगढ़ी फिल्म दईहान द काऊ मैन 7 फरवरी 2020 को रिलीज होने जा रही है। छत्तीसगढ़ के आर्ट फिल्म मेकर भूपेंद्र साहू की बहुप्रतिक्षित छत्तीसगढ़ी फिल्म दईहान का प्रमोशन और प्रचार भी शुरू हो चुका है। इस फिल्म का निर्देशन किया है भूपेन्द्र साहू ने और निर्माता है मलयज साहू। अब कलाकारों की बात करें तो इस फिल्म में संदीप पाटिल, जैकी भावसार, जागेश्वरी मेश्राम, घनश्याम पटेल, नवीन देशमुख, अंजलि चौहान, रजनीश झांझी, कुलेश्वर ताम्रकार, अमरसिंह लहरे, येमन साहू, पप्पू चंद्राकर और प्रमोद विश्वकर्मा आदि की दमदार भूमिका है।
सोशल मीडिया में जारी दईहान के गीत-संगीत के साथ ही पोस्टर को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा में लंबे अंतराल के बाद एक ऐसी फिल्म दर्शकों को देखने को मिलेगी जिसे देखकर सही मायने में लगेगा कि हां ये है छत्तीसगढ़ी फिचर फिल्म जिसमें छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति और लोक परंपरा की झलक दिखता है। जाने माने फिल्म मेकर भूपेंद्र साहू 'मया देदे मया लेले' और 'परदेशी के मया' के बाद अब दईहान से धूम मचाने को बेताब है। भूपेन्द्र छत्तीसगढ़ की लोक कला के बारे में काफी जानकारी रखते है, भोपाल के भारत भवन में उन्होने लंबा समय बिताया है कला साधना में। उनकी सांस्कृतिक संस्था रंग सरोवर लोकगीत और संगीत की अनुपम प्रस्तुति के लिये विख्यात है। जितनी पकड़ उनकी रंगमंच में है उतनी ही सिने दुनिया में भी, जीता जागता उदाहरण हमारे सामने रंग सरोवर के वीडियों एलबम है।
सोशल मीडिया में रिलीज आधिकारिक ट्रेलर से फिल्म की कहानी का अंदाजा लगाये तो दईहान की कहानी शुरू होती है रजनीश और अंजलि के घर से जहां नायक अपने पुरखों की विरासत को सहेजता हुआ गाय चराने, दूध की चंडी और दईहान में रम जाता है। दईहान में ही नायक को नायिका से प्रेम हो जाता है। प्रेम को दोस्ती की नजर लगती है। बात घर और समाज तक पहुंचती हैं। दोनो परिवारों की बदनामी कहानी को नया मोड़ देती है। अब आगे क्या दो प्यार करने वाले मिल पायेंगे या नहीं? इसकी जानकारी तो पूरी फिल्म देखने को बाद ही जान पायेंगे फिलहाल प्रतिक्षा करते है दईहान के रिलीज होने का।
क्या खास है फिल्म दईहान द काऊ मैन में-
फिल्म की कहानी सबसे अलग और नई है। आज के दौर में इस तरह की कहानी और पटकथा कोई सोच भी नहीं सकता है। दईहान द काऊ मैन फिल्म का नाम रखा गया है तो कहानी भी ठेठवार समाज की होगी इतना तो पक्का है। ठेठवार के लिये मातर, मड़ई, गाय और दूध, दही की चंडी परंपरा का हिस्सा है जिसे फिल्म में प्रमुखता से दिखाया गया है। सरल और सहज तरीके से ग्राम्य जीवन को पर्दे पर बखूबी से उकेरा गया है। जितनी अच्छी स्टोरी है उतनी है जानदार संवाद भी है। भूपेंद्र साहू ने ग्राम्य संस्कृति के उस हिस्से को उठाया है जो यादव समाज का प्रतिनिधित्व करता है। गाय चराना यदुवंशियों की परंपरा में है, दैनिक जीवन का कार्य भी गायों के बीच ही शुरू और अंत होता है। फिल्म में शायद यही दिखाने की कोशिश भी की गई है। ठेठवार के परिवार में दो नव जवान अपनी गायों को दईहान से खेत-खार चराने जाया करते थे। बांस गीतों की मुधर तान के साथ दूध, दही, मही का चंडी लोगों के घर जाने लगता है। इसी बीच दूसरे गांव के लोग दूध, दही को लेकर लड़ाई करते है जिसमें फिल्म का नायक उलझ जाता है। फिल्म में नया मोड़ उस समय आता है जब नायिका दो ठेठवारों में से एक की हो जाती है। फूल झरे हांसी, मोती झरे बयना तोर... और पहिली नजर म मोही डारे रे..., जादू का अइसे तेहा मारे रे... गीत से रधिया और किशुन का प्रेम परवान चड़ता है। सभी गीत लोकधुनों में सराबोर करता हुआ रग-रग में छत्तीसगढ़ियापन लिया हुआ है जिसमें दर्शक रमते है।
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