भूलन द मेज : व्यवस्थाओं से जूझता भोला भकला और उदार गंजहा के साथ खड़े ग्रामीणजनों की मार्मिक प्रसंग के बीच भूलन कांदा का स्वच्छ मनोरंजन

bhulan the maze new cg film


  • bhulan the maze : संजीव बक्शी की मशहूर उपन्यास भूलन कांदा पर आधारित है फिल्म
  • bhulan the maze : अनेक राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम करने के बाद अब आम दर्शकों के लिये 27 मई से सिनेमाघरों में
  • bhulan the maze : ओंकारदास मानिकपुरी एक बार फिर छॉलीवुड में छाये, भूलन कांदा में खूब चला मनोज वर्मा की सिनेमाई जादू

छत्तीसगढ़ की पहली ऐसी फिल्म, जिसने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम किया है, और निर्देशक को भी छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य अलंकरण से नवाजा जा चुका है उस फिल्म का नाम है ‘भूलन द मेज’ और निर्देशक है ‘मनोज वर्मा’। भूलन द मेज का प्रर्दशन अब तक केवल अवार्ड फंक्शनों में ही होता रहा है, आम दर्शकों के लिये प्रदर्शित नहीं किया गया था। जब से फिल्म की लोकप्रियता के चर्चे देश-विदेश में हुई, आम दर्शकों में भी फिल्म को देखने की उत्सुकता कई गुणा बढ़ती चली गई। 

तो फाइनली अब 2022 को निर्माता-निर्देशक फिल्म को दर्शकों के बीच ला रहे हैं। कुछ दिन पहले दो गानों को सोशल मीडिया में रिलीज किया गया था, अब ट्रेलर भी आ चुका है। साथ ही फिल्म के प्रदर्शन की तारीख की घोषणा भी हुई है जो कि 27 मई 2022 बताई जा रही है। वैसे सोशल मीडिया में ट्रेलर आप सभी ले भी देख लिये होंगे। और आपको ट्रेलर कैसा लगा, किसकी अदाकारी भा गई, कौन सा सीन आपको बेहतर लगा, कहानी कहां तक समझ आई, वगैरह-वगैरह आप हमें कमेंट में लिख सकते है। 

बहरहाल अब चलिए हमने जो भूलन द मेज के ट्रेलर में देखा, महसूस किया उसके बारे में आपको बताते हैं, साफ लफ्जों में कहे तो ट्रेलर का पंचनामा करेंगे, साथ ही फिल्म से जुड़ी जो जानकारियां हमारे पास है उसे भी साझा करते जायेंगे। फिल्म भूलन द मेज एक मिथक कथा पर आधारित है जिसमें कहा जाता है कि जिस आदमी के पैरों के नीचे भूलन आ जाता है वें अपना रास्ता भटक जाते हैं। और वहीं-वहीं घुमते रहते हैं। बताया जाता है कि भूलन एक कंद है जो स्वयं उगे होते है उसकी कोई विशेष पहचान नहीं है। इस फिल्म में जंगल में भूलन कांदा की बात कही कई है, लेकिन आदमी हाट-बाजार, खेत-खार कहीं भी भूलन खूंद लेता है।

‘भूलन कांदा’ एक प्रसिद्ध उपन्यास है जिसके लेखक है संजीव बक्शी जो कि कला, साहित्य और सांस्कृतिक नगरी खैरागढ़ राजनांदगांव से ताल्लुख रखते है और वर्तमान में रायपुर में उनका निवास है। निर्देशक मनोज वर्मा छॉलीवुड के बड़े फिल्ममेकर है जो मिस्टर टेटकूराम, महुं दिवाना तहूं दिवानी, महुं कुवांरा तहु कुवांरी जैसे मसाला फिल्म का निर्माण कर चुके हैं। अब की बार आर्ट और लिटरेचर को उन्होंने फोकस करते हुये उपन्यास भूलन कांदा को फिल्म के रूप में पर्दे पर उकेरा और नाम दिया भूलन द मेज। 

भूलन द मेज में अहम किरदार में है ओंकारदास मानिकपुरी, अनिमा पगारे, आशीष सेंदरे, पुष्पेंद्र सिंह, राजेंद्र गुप्ता, सलीम अंसारी, मुकेश तिवारी, अशोक मिश्रा, संजय महानंद, हेमलाल कौशल, सेवकराम यादव, अनुराधा दुबे, उपासना वैष्णव, उषा विश्वकर्मा, अमरसिंह, सुरेश गोंडाले, शशीमोहन सिंह और राजू शर्मा आदि। संगीत है सुनील सोनी का, गीत लिखे हैं मीर अली मीर, प्रावीण प्रवाह और मनोज वर्मा ने। भूलन द मेज की स्टोरी की बात करें तो आप सभी को भान होगा कि भूलन कांदा ही इसकी केन्द्र बिंदू है। लेकिन जिस प्लॉट पर इस कहानी की नींव रखी गई है वो काफी मजबूत, मनोरंजक, मार्मिक और मन को विचारशील करने वाला है। 

एक वनांचल गांव में शहर से दो अंजान शख्स आते हैं, कोटवार उन्हें समझाता है कि जंगल में ज्यादा अंदर न जाये वर्ना भूलन कांदा खूंद लेंगे और रास्ता नहीं मिलेगा। दोनों साहब की भटकने और गांव तक पहुंचने की घटना मजेदार है, जैसे-तैसे गांव को पहुंचते हैं। ग्रामीणजन अपनी आजिवीका के लिए रोजी-मजदूरी का काम करते खुशी से गुजर बसर कर रहे हैं। तभी एक अनहोनी घटना होती है। हल में गिरने से एक आदमी की मौत हो जाती है। घटना कब, कैसे और किससे द्वारा होती है ये कोई नहीं जानता, लेकिन शक की सुई बार-बार भकला की तरफ ही जाता है। गांववालों को यकीन है कि भकला किसी का खून नहीं कर सकता, लेकिन खून तो हुआ है। 

हत्या किसने किया है यह कोई नहीं जानता, लेकिन भकला को सजा से बचाने के लिये गांव के ही बुजुर्ग आदमी गंजहा आगे आता है। गंजहा को जेल हो जाती है। भकला और उसकी पत्नी अब गंजहा बबा को बचाने के लिये थाना, जेल और कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते हैं। इस बीच सारा गांव एकता का परिचय देते हुए साथ खड़े रहते हैं। 

फिल्म में सीधा और सरल ग्रामीणजनों के बीच भकला जैसा भोला और गंजहा जैसे उदार व्यक्तियों को किन-किन व्यवस्थाओं से जूझना पड़ता है भूलन द मेज में लेखक और निर्देशक ने बखूबी दिखाया है। कहानी के बारे में बास इतना कहना ही काफी है कि देखने वाले दर्शक भी भूलन की भूल-भुलईया में खूद को फिल्मी किरदारों में जीवंत पायेंगे। गीत-संगीत में आंचल की प्रतिनिधी लोकगीतों की बानगी समाहित है, यकिन मानिये बार-बार सुनने को जी करता है।

अभी तो केवल फिल्म का ट्रेलर आया है, और ये दिवानगी है छॉलीवुड में।  सोचिये जब पूरा फिल्म पर्दे पर आयेगा तो क्या हाल होगा। हर खासों आम को अब 27 मई 2022 की प्रतिक्षा है जब यह फिल्म रिलीज होगी। हम तो बड़ी बेसब्री से सिनेमाघर में प्रदर्शन का बाट जोह रहे हैं आप भी आइये। बाकी बाते वहीं सिनेमाघर में करेंगे तब तक के लिये नमस्कार, जय जोहार, आदाब, शुभम मंगलम।

Official Trailer - Bhulan The Maze I Onkardas Manikpuri, Sanjay Mahanand I Manoj Verma
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