क्यों रखते हैं करवा चौथ का व्रत ?
0 करवा चौथ के व्रत को विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की दीर्घायु व सुखी जीवन की कामना के लिए करती है। मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन सुहागन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती है। रात्रि के समय विधी विधान से करवा पूजन करके चंद्र दर्शन के साथ पति हाथों जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती है।
करवा चौथ व्रत का क्या धार्मिक महत्व ?
0 हिन्दु धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आदिशक्ति माता पार्वती, आदिदेव महादेव, कुमार कार्तिकेय और भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है। व्रतधारी महिलाएं माता पार्वती से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। करवा में जल भरकर कथा सुनती है और सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं।
कैसे खोलते है करवा चौथ का व्रत ?
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है, इस दौरान सूर्योदय से सूर्यास्त तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करती है। करवा पूजा के साथ ही शाम को छलनी से चांद को देखा जाता है। व्रतधारी महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर पत्नियां अपना व्रत पूरा करती हैं।
करवा चौथ की पूजन सामग्री क्या है ?
0 करवा चौथ में मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी , चावल, मिठाई, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी-गौरा बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे।
करवा चौथ को भारत के कुछ ही प्रांतों में पारंपरिक तरीके से मनाया जाता था। लेकिन कुछ ही वर्षों में यह हिन्दुओं का बहुत बड़ा व्रत पर्व के रूप में स्थाापित हुआ। इसका एक बड़ा कारण सिनेमा को माना जाता है। भारतीय सिनेमा देवी देवताओं की मान्यताएं और परंपराओं को सहेजने के साथ व्यापक रूप से परिष्कृत करने का माध्यम बना। करवा चौथ की परंपरा और मान्यता को रेखांकित करता हुआ भारतीय सिनेमा में अनेक फिल्म रिलीज हुआ है। जिसके प्रभाव से समग्र भारत में करवा चौथ के व्रत का प्रचलन हुआ।
1978 में करवा चौथ नामक फिल्म बना जिसमें व्रत कथा विधी विधान और प्रतिफल को चित्रित किया गया था। आगे हिन्दी फिल्म बहू बेटी, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, हम आपके हैं कौन, कभी खुशी कभी गम, बाबुल, बागबान, इश्क-विश्क, जहर आदि में करवा चौथ को कुछ इस अंदाज में प्रस्तुत किया गया कि सुहागनों ने व्रत रखना शुरू कर दिया। सिनेमा ने एक ओर जहां अन्य अंचलों की महिलाओं को व्रत रखना सीखा दिया वही दूसरी ओर जहां पूर्व से व्रत रखा जाता रहा उनकी पारंपरिक विधी विधानों को ग्लैमरस करने का काम किया।
करवा चौथ को ग्लैमरस लूक देने में फिल्म जो भूमिका निभाई है उसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनो प्रभाव दिखता है। मूल परंपरा छूटता जा रहा है और आडंबरों का अधिक समावेश हो रहा है। व्रतधारी महिलाएं जो सादगी के साथ पूजा अर्चना में ध्यान लगाती थी वें अब अपने गहनों, पहनावों, मेकअप आदि श्रृंगारिक कार्यक्रमों में लगी रहती है। यही हाल शाम को व्रत कथा और पूजन विधान के समय भी होता है, सुहागिन औरतें दुलहन की तरह सजी जैसे शादी का मंडप हो, बैठकर व्रत कथा सुनती हैं। छत पर फिल्मी गानों के साथ चांद का दीदार करते हैं। दुल्हे की तरह तैयार पति भी अपनी पत्नी के लिये महंगे तोहफे के साथ पानी पिला कर व्रत तुड़वाता है। इस बीच परंपरा और मान्यताएं ग्लैमरस करवा चौथ में गौण नजर आता है।
करवा चौथ गाना का फिल्म ही नहीं गानें भी काफी लोकप्रिय हुआ, आइये देखिए कुछ हिट गानों की कड़ी- 1. है मेरे सांसों में मेरे पिया 2. मैं हूं दासी तेरी 3. मैं सदा सुहागन कहलाऊं 4. मैया जब तक जियु मैं सुहागन 5. सदा सुहागन 6. दर पर तेरे आंचल फैला के 7. चांद चमके सदा 8. मंगल मूर्ति गोरी लाला 9. तुम प्राण मेरे 10. घर आजा परदेशी तेरा देश 11. राह में उनसे मुलाकात 12. इश्क भी क्या चीज है 13. दिल क्या करे साहब 14. चोरी चोरी तेरे संग 15. तू नीदों की रानी और 16. ओढ़नी ओड़ के नाचूं 17. दिल ने गया परदेशी 18. चांद छुपा है बादल में 19. माता देवी सदा सुहागन 20. चांद में दिखे सजना।
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